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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन

 

                    मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 1)

   "मेरा बाप ही मेरा दुश्मन होगया ।मेरे बाप ने मेरे साथ जो किया वह मै ही जानती हूँ।मेरी जगह कोई और होती तो स्वयं आत्म हत्या कर लेती अथवा अपने बाप का गला दबा देती। मैं आजतक जैसे अपना जीवन जी रही हूँ मैं ही जानती हूँ।", इतना कहकर रमला बुरी तरह रोने लगी।

     सन्जना उसके आँसू पौछते हुए बोली , " नहीं रमला एसा नही सोचते है। कोई भी अपनी औलाद का बुरा होता नहीं देख सकता है। तुझे कुछ गलत फहमी हुई है। और मै उनको जानती हूँ वह दिल के बुरे नहीं थे। तू यह सब अब भूलजा और न्ई जिन्दगी जीने की सोच।  कभी  होता कुछ और है और हमें दिखायी देता कुछ और है इस लिए तू उन सब बातौ को भूलकर अपनी नयी जिन्दगी के बिषय में सोचने की कोशिस कर।"

        " सन्जू तू पागल होगयी है। मै वह सब इतनी आसानी से नही भूल सकती हूँ। उन्हौने मुझे जिन्दा ही मार डाला। उन्हौने मेरी जिन्दगी को नरक बनाने में कुछ भी कमी नहीं छोडी है। और तू कहती है कि मै यह सब  भूल जाऊँ। ऐसा कैसे हो सकता है।", रमला नागिन की तरह फुंफकारती हुई बोली।

       " रमला पुराने घाव जितने कुरेदोगे उतना ही अधिक परेशान करेंगे। जीवन में जो बीत गया उसको भूलने  में ही भलाई होती है। अब तू अपनी नयी जिन्दगी की तरफ सोच। अब तुझे कुछ ऐसा करना है कि पुरानी बातें याद ही नहीं आयें।  बैसे भी पुराने घाव कभी भी कुरेदने में हमेशा हानि ज्यादा लाभ कम ही होता है।"  सन्जना उसे समझाते हुए बोली।

        "सन्जना तू अपनी जगह सच्ची है लेकिन यह सब इस तरह भुलाना मेरे लिए आसान नहीं है। मैं इन बातौ को जितना भूलने की कोशिश करती हूँ वह उतनी ही मुझे लौटकर याद आजाती है अब यह मेरे वश में नही रहा है।", रमला ने जबाब दिया।

          रमला  को अपने पुराने दिन याद आने लगे। जब वह पाँच छै साल की थी उसके मम्मी पापा दौनौ कितना प्यार करते थे। वह दौनौ उस पर अपनी जान छिडकते थे। वह रमला की हर छोटी बडी ख्वाहिस पूरी करते धे। रमला उनकी कमजोरी बन चुकी थी। उसके बिना उनका जीवन ही सम्भव नहीं था।

        रमला की सभी फरमाइशै पूरी की जाती थी।  उसके मम्मी पापा ने घर से भागकर लव मैरिज की थी। उसकी मम्मी ने ही उसे अपनी प्रेम कहानी विस्तार से बताई थी।

        उसकी मम्मी तान्या व पापा विशाल  एक साथ कालेज में पढ़ते थे। वहीं से उनके दिल में प्यार का बीज अंकुरित होगया।

        उनके कालेज में वार्षिक उत्सव था उसमे दौनौ ने भाग लिया था । लैला मंजनू का नाटक  था। तान्या लैला बनी थी और विशाल मंजनू बना था।

       दोनौ ने  बहुत महनत की थी उनका नाटक को सभी ने बहुत पसंद किया था।वही से दौनौ असल जिन्दिगी में भी लैला मंजनू बन गये।

      तान्या व विशाल की प्रेम कहानी यहीं से आरम्भ हुई थी।

       एक दिन तान्या व विशाल एक पार्क में बैठे थे।तान्या विशाल से बोली," विशाल अब मै तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती। हमारे परिवार वालौ को इसकी खबर हो उससे पहले हमें उनको अपने प्यार की बात बता देनी चाहिए। "

     विशाल बोला," तानी हमारे परिवार वाले हमारे प्यार को कभी भी स्वीकार नहीं करैगे। मुझे तो अपने पापा से बहुत डर लगता है मैं उनके सामने बोल ही नहीं सकता हूँ तब प्रेम कहानी कैसे बताऊँगा।"

     तान्या बोली," डरपोक कहींका जब इतना ही डर लगता था तब इस राह पर कदम क्यौ बढा़या था। मै तो अपने पापा को कह दूँगी कि मै शादी विशाल से करूँगी।"

     विशाल बोला," तानी बोल के तो देख यहाँ भाषण देरही है वहाँ पता चल जायेगा। "

        "क्या मुझे भी अपनी तरह डरपोक समझ रखा है। मै कल ही बोल देती हूँ।", तान्या ने जबाब दिया।

        विशाल बोला," फिर तो काम बहुत आसान हो जायेगा तू अपने पापा को रिश्ता लेकर मेरे घर भेज देना आगे बात मै सम्भाल लूँगा। "

       "ना बाबा मेरे पापा क्यौ आयेगे ? तुम अपने पापा को भेजना मै तो मजाक कर रही थी। मेरे पापा को पता चल गया तो जिन्दा मार डालैगै।". तान्या बोली।

        इस आपस की बहस में वह समय को भी भूल गये। अब दौनौ वहाँ से अति शीघ्र अपने घर पहुँचना चाहते थे। अतः  विशाल ने अपना मौटर साइकिल स्टार्ट किया और तान्या को बिठाकर उसके घर छोडा़ और फिर स्वयं अपने घर चला गया।

       जब तान्या के पापा उसकी शादी के  लिए लड़का देखने लगे  तब तान्या को बहुत डर लगने लगा। अब उसको यही चिन्ता सता रही थी कि किस तरह अपने प्यार की बात घर वालौ के सामने कैसे इजहार की जाय।

        तान्या बहुत परेशान रहने लगी। एक दिन उसकी मम्मी ने उहको विशाल से बात करते हुए पकड़ लिया। और वह तान्या को पूछने लगी," तू किससे बात कर रही थी। सच सच बताना। झूठ मत बोलना। कौन है यह लड़का?  "

      अब तान्या की मजबूरी भी थी और उसे अपने प्यार के बिषय में बताने का मौका भी था। अतः वह यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहती थी।

       तान्या अपनी मम्मी से बोली," मम्मी यह विशाल है वह मेरे साथ मेरी क्लास में ही पढ़ता है। हम दौनौ एक दूसरे के दोस्त है।"

      उसकी मम्मी ने पूछा," और इससे आगे क्या चलरहा है।  अब वह भी बतादे।  "

      तान्या बोली," मम्मी असल में हम दौनौ एक दूसरे को प्यार करते है और शादी करना चाहते है। "

    प्यार और शादी की बात सुनकर उसकी मम्मी का पारा सातवे आसमान पर चला गया।

     वह बोली," तू अपने पापा को नहीं जानती है  वह प्यार करने वालौ के दुश्मन है। यह प्यार  भूलजा और वह जहाँ कहै चुपचाप शादी कर लेना । आगे तू स्वयं समझदार है। मेरे बोलने की जरूरत नहीं है।"

         तान्या अपनी मम्मी की बात सुनकर बहुत परेशान होगयी। क्यौकि वह अपने पापा कोअच्छी तरह जानती थी।


                                         क्रमशः

 नोट ;-  कृपया आगे की कहानी अगले भाग  2 में पढिये

कहानीकार प्रतियोगिती हेतु रचना।

नरेश शर्मा "घचौरी"


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2 Comments

Alka jain

02-Jul-2023 10:48 PM

Nice one

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